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न्यायालय से बाहर अयोध्या विवाद की स्थिति जस की तस है। अटल, आडवाणी, जोशी, राजनाथ आदि के बाद अब गडकरी के रूप में भाजपा के चेहरे बदलते गये पर इस मुद़दे को लेकर केन्द्र की सत्ता का स्वाद ले चुकी भाजपा ने इस विवाद की तस्वीर बदलने के लिए शायद ही सच्चे मन से ठोस प्रयास किया हो।
गडकरी ने मंदिर दो मस्जिद लो की घोषणा बगैर पार्टी के साथ रहे धर्माचार्यों की सहमति के बगैर कर दी।
रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महन्त नृत्यगोपाल दास ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या में पहले से ही इतनी मस्जिद है कि यहां के मस्लिमों को नामज पढने के लिए काफी है। उन्होंने गडकरी का नाम लिये बगैर कहा कि अयोध्या में अब किसी नये मस्ज्दि की जरुरत ही नहीं है। सोचनीय है कि इस विवाद की तस्वीर बदलने की बताया नित नई नई बयानबाजी देश, सामज व इस विवाद से जुडे लोगो के लिए कितनी पीडादायक है।
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